Tantrokta Durga MahaRaksha Kavach

दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जिन्हें केवल देवी और शक्ति भी कहते हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना परम ब्रह्म से की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।

शक्ति / विजयअसमियाদুর্গাसंबंधितशक्ति अवतारमंत्र — 1. ॐ दुर्गा देव्यैः नमः
2. ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायैः विच्चे॥
अस्त्र-शस्त्र – त्रिशूल, चक्र,
गदा, धनुष,
शंख, तलवार,
कमल, तीर, अभयहस्त
जीवनसाथी – शिव
वाहन – बाघ

देवी दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक निर्भय स्त्री के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया। महिषासुर (= महिष + असुर = भैंसा जैसा असुर) करतीं हैं। हिन्दू ग्रन्थों में वे शिव की पत्नी दुर्गा के रूप में वर्णित हैं। जिन ज्योतिर्लिंगों मैं देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। वँहा किये गए सभी संकल्प पूर्ण होते है।

हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषदमें देवी “उमा हैमवती” (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। दुर्गा असल में शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं, शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है। एकांकी (केंद्रित) होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवश अनेक हो जाती है। उस आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री(ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और पार्वती(सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी दुर्गा (आदि शक्ति) एक ही है।

देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका “गौरी” है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप “काली” है, अर्थात काला रूप। विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं। कुछ दुर्गा मन्दिरों में पशुबलि भी चढ़ती है। भगवती दुर्गा की सवारी शेर है।

यदि कोई साधक तंत्र सम्मत विधि से सिद्ध किया हुआ “तान्त्रोक्त दुर्गा महारक्षा कवच” अपने गले में धारण करके चामुंडा नवार्ण मंत्र का १०८ जप और दुर्गा सप्तशती के चतुर्थ अध्याय का पाठ करेगा उसका समस्त रोग बढ़ा शत्रु शांत पड़ जाते है और उसका यश धन-धान्य पुत्र-पौत्र सबकुछ वृद्धि करता चला जाता है। यदि कुंवारी कन्या धारण करती है तो उसको शिव सामान मनचाहा वर प्राप्त होता है और यदि कुंवारा लड़का धारण करता है तो अन्नपूर्णा के सामान कल्याणकारिणी पत्नी मिलती है

निर्माण खर्च – 5200/=
आलेख साभार — मुकुंद नंदन

प्राप्ति स्थल/ Adderess—
Ujwal Bhavishya Darshan
Jyotish Tantra Vastu
Shodh Sansthan
Khetari Nehru Nagar
ARA – 802301
Bhojpur, Bihar.
whatsApp/call — 09334534189